(Maruti Stotra) मारुती स्तोत्र: हर समस्या का चमत्कारी समाधान

मारुती स्तोत्र, जिसे “हनुमान स्तोत्र” भी कहा जाता है, एक शक्तिशाली प्रार्थना है जो भगवान हनुमान को समर्पित है। यह स्तोत्र उनके महान गुणों, बल, और दिव्य शक्तियों की सराहना करता है। हनुमान जी को संकटों का निवारण करने वाला देवता माना जाता है, और इस स्तोत्र का जाप करने से जीवन की विभिन्न समस्याओं का समाधान प्राप्त होता है।

मारुती स्तोत्र

मारुती स्तोत्र, जिसे हनुमान स्तोत्र भी कहा जाता है, मारुती स्तोत्र एक संस्कृत में लिखा गया भव्य स्तोत्र है जो भगवान हनुमान के अनेक गुणों का बखान करता है। यह स्तोत्र 17वीं शताब्दी के महान संत समर्थ रामदास स्वामी द्वारा लिखा गया था।

भीमरूपी महारुद्रा, वज्र हनुमान मारुती।
वनारी अंजनीसूता, रामदूता प्रभंजना ।।1।।

महाबळी प्राणदाता, सकळां उठवीं बळें ।
सौख्यकारी शोकहर्ता, धूर्त वैष्णव गायका ।।2।।

दिनानाथा हरीरूपा, सुंदरा जगदंतरा।
पाताळ देवता हंता, भव्य सिंदूर लेपना ।।3।।

लोकनाथा जगन्नाथा, प्राणनाथा पुरातना ।
पुण्यवंता पुण्यशीला, पावना परतोषका ।।4।।

ध्वजांगे उचली बाहू, आवेशें लोटिला पुढें ।
काळाग्नी काळरुद्राग्नी, देखतां कांपती भयें ।।5।।

ब्रह्मांड माईला नेणों, आवळें दंतपंगती।
नेत्राग्नी चालिल्या ज्वाळा, भृकुटी त्राहिटिल्या बळें ।।6।।

पुच्छ तें मुरडिलें माथां, किरीटी कुंडलें बरीं।
सुवर्णकटीकासोटी, घंटा किंकिणी नागरा ।।7।।

ठकारे पर्वताऐसा, नेटका सडपातळू।
चपळांग पाहतां मोठें, महाविद्युल्लतेपरी ।।8।।

कोटिच्या कोटि उड्डाणें, झेपावे उत्तरेकडे ।
मंद्राद्रीसारिखा द्रोणू, क्रोधे उत्पाटिला बळें ।।9।।

आणिता मागुता नेला, गेला आला मनोगती ।
मनासी टाकिलें मागें, गतीस तूळणा नसे ।।10।।

अणूपासोनि ब्रह्मांडा, येवढा होत जातसे।
तयासी तुळणा कोठें, मेरुमंदार धाकुटें ।।11।।

ब्रह्मांडाभोंवते वेढे, वज्रपुच्छ घालूं शके।
तयासि तूळणा कैचीं, ब्रह्मांडीं पाहतां नसे ।।12।।

आरक्त देखिलें डोळां, गिळीलें सूर्यमंडळा ।
वाढतां वाढतां वाढे, भेदिलें शून्यमंडळा ।।13।।

धनधान्यपशुवृद्धी, पुत्रपौत्र समग्रही ।
पावती रूपविद्यादी, स्तोत्र पाठें करूनियां ।।14।।

भूतप्रेतसमंधादी, रोगव्याधी समस्तही ।
नासती तूटती चिंता, आनंदें भीमदर्शनें ।।15।।

हे धरा पंधराश्लोकी, लाभली शोभली बरी।
दृढदेहो निसंदेहो, संख्या चंद्रकळागुणें ।।16।।

रामदासी अग्रगण्यू, कपिकुळासी मंडण।
रामरूपी अंतरात्मा, दर्शनें दोष नासती ।।17।।

।। इति श्रीरामदासकृतं संकटनिरसनं मारुतिस्तोत्रं संपूर्णम् ।।

ॐ नमो भगवते विचित्रवीरहनुमते प्रलयकालानलप्रभाप्रज्वलनाय।

प्रतापवज्रदेहाय। अंजनीगर्भसंभूताय।

प्रकटविक्रमवीरदैत्यदानवयक्षरक्षोगणग्रहबंधनाय।

भूतग्रहबंधनाय। प्रेतग्रहबंधनाय। पिशाचग्रहबंधनाय।

शाकिनीडाकिनीग्रहबंधनाय। काकिनीकामिनीग्रहबंधनाय।

ब्रह्मग्रहबंधनाय। ब्रह्मराक्षसग्रहबंधनाय। चोरग्रहबंधनाय।

मारीग्रहबंधनाय। एहि एहि। आगच्छ आगच्छ। आवेशय आवेशय।

मम हृदये प्रवेशय प्रवेशय। स्फुर स्फुर। प्रस्फुर प्रस्फुर। सत्यं कथय।

व्याघ्रमुखबंधन सर्पमुखबंधन राजमुखबंधन नारीमुखबंधन सभामुखबंधन

शत्रुमुखबंधन सर्वमुखबंधन लंकाप्रासादभंजन। अमुकं मे वशमानय।

क्लीं क्लीं क्लीं ह्रुीं श्रीं श्रीं राजानं वशमानय।

श्रीं हृीं क्लीं स्त्रिय आकर्षय आकर्षय शत्रुन्मर्दय मर्दय मारय मारय

चूर्णय चूर्णय खे खे

श्रीरामचंद्राज्ञया मम कार्यसिद्धिं कुरु कुरु

ॐ हृां हृीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः फट् स्वाहा

विचित्रवीर हनुमत् मम सर्वशत्रून् भस्मीकुरु कुरु।

हन हन हुं फट् स्वाहा॥

एकादशशतवारं जपित्वा सर्वशत्रून् वशमानयति नान्यथा इति॥

इति श्रीमारुतिस्तोत्रं संपूर्णम्॥

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मारुती स्तोत्र का महत्व:

  1. संकटों का समाधान: यह स्तोत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी माना जाता है, जो जीवन में किसी प्रकार के संकट या समस्याओं का सामना कर रहे हैं। हनुमान जी के आशीर्वाद से हर समस्या का समाधान मिलता है।
  2. शक्ति और साहस का संचार: हनुमान जी का प्रतीक शक्ति और साहस है। इस स्तोत्र का जाप करने से व्यक्ति में मानसिक और शारीरिक दोनों प्रकार की ताकत का संचार होता है, जिससे वह किसी भी कठिनाई का सामना कर सकता है।
  3. बुरी शक्तियों से रक्षा: मारुती स्तोत्र का नियमित पाठ बुरी शक्तियों, नकारात्मक ऊर्जा, और शत्रुओं से रक्षा करता है। हनुमान जी की कृपा से व्यक्ति सुरक्षित रहता है और मानसिक शांति मिलती है।
  4. आध्यात्मिक उन्नति: यह स्तोत्र व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी लाभकारी है। नियमित रूप से जाप करने से मनुष्य की भक्ति, श्रद्धा और विश्वास में वृद्धि होती है।
  5. स्वास्थ्य लाभ: हनुमान जी के आशीर्वाद से शारीरिक समस्याओं में भी राहत मिलती है। उनके भक्तों को अक्सर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में भी राहत मिलती है।

मारुती स्तोत्र का पाठ कैसे करें:

  1. प्रतिदिन पाठ: इस स्तोत्र का प्रतिदिन जाप करना सबसे अधिक लाभकारी माना जाता है। यह सुबह के समय (ब्रह्म मुहूर्त) या शाम के समय किया जा सकता है, जब मन शांत हो।
  2. भक्ति और श्रद्धा से पाठ: पाठ करते समय भक्त को पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ भगवान हनुमान के गुणों का ध्यान करते हुए स्तोत्र का जाप करना चाहिए।
  3. समूह में पाठ: कई लोग इसे समूह में भी पढ़ते हैं, विशेष रूप से हनुमान जयंती जैसे खास अवसरों पर। इस तरह के सामूहिक जाप से मनुष्य को मानसिक शांति और आशीर्वाद मिलता है।

















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