हनुमानजी अत्यंत शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं। उनकी कृपा हमेशा बनी रहे, इसके लिए सबसे पहली शर्त यह है कि आप मन, वचन और कर्म से पवित्र रहें। अर्थात, कभी भी झूठ न बोलें, किसी भी प्रकार का नशा न करें, मांसाहार से बचें और अपने परिवार के सदस्यों से स्नेहपूर्ण संबंध बनाए रखें।
इसके अतिरिक्त, प्रतिदिन श्रीहनुमान चालीसा या श्रीहनुमान वडवानल स्तोत्र का पाठ करें। मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमानजी को चोला अर्पित करें। हनुमानजी के अलावा अन्य किसी देवी-देवता की पूजा या प्रार्थना न करें और न ही मंदिर, समाधि आदि स्थानों पर सिर झुकाएं। जैसे कि कहा गया है, “और देवता चित्त न धरहीं, हनुमत सर्व सुख करहीं।” इस प्रकार इन कार्यों को करते हुए नीचे बताए गए उपायों को अपनाएं।

- हनुमान जयंती या किसी भी मंगलवार को सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। एक लोटा जल लेकर हनुमानजी के मंदिर में जाएं और उस जल से हनुमानजी की मूर्ति को स्नान कराएं।
- पहले दिन एक साबुत उड़द का दाना हनुमानजी के सिर पर रखकर 11 परिक्रमा करें और मन में अपनी मनोकामना हनुमानजी से कहें। फिर वह उड़द का दाना लेकर घर लौटें और उसे सुरक्षित रख लें।
- अगले दिन से एक-एक उड़द का दाना बढ़ाते जाएं और यह प्रक्रिया निरंतर जारी रखें। 41 दिन तक 41 दाने रखने के बाद, 42वें दिन से एक-एक दाना कम करना शुरू करें। जैसे 42वें दिन 40, 43वें दिन 39, और 81वें दिन 1 दाना। 81वें दिन इस अनुष्ठान का समापन होने पर उसी दिन रात को श्रीहनुमानजी स्वप्न में दर्शन देकर साधक को मनोकामना की पूर्ति का आशीर्वाद देते हैं। इस पूरे अनुष्ठान के दौरान जितने भी उड़द के दाने हनुमानजी को अर्पित किए गए हैं, उन्हें अंत में नदी में प्रवाहित कर दें।
- जो व्यक्ति श्रद्धा और भक्ति से निरंतर हनुमानजी का जप करता है, कुछ समय बाद हनुमानजी का चमत्कार उसे अनुभव होता है। जैसे-जैसे उसकी आस्था बढ़ती है, हनुमानजी उसे अपने पास होने का अहसास कराते हैं और उसके सभी संकटों का निवारण कर देते हैं। धन्य है वह व्यक्ति जो हनुमानजी का सच्चा भक्त है।