भगवान हनुमान, जिन्हें महाबली, संकटमोचन, और राम भक्त के रूप में पूजा जाता है, हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध देवताओं में से एक हैं। उनके अनुयायी उन्हें शक्तिशाली, निस्वार्थ और भक्तिपूर्ण मानते हैं। हनुमान जी का नाम सुनते ही हमारे मन में उनके अद्वितीय बल, साहस और भक्ति की छवि उभर आती है। उनकी पूजा और आराधना के लिए भारत में अनगिनत मंदिर हैं, जो श्रद्धालुओं से भरते रहते हैं। भगवान हनुमान के ये मंदिर न केवल धार्मिक स्थलों के रूप में प्रतिष्ठित हैं, बल्कि यहां की आस्था और श्रद्धा भी भक्तों को मानसिक शांति और आध्यात्मिक बल प्रदान करती है।
भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थित हनुमान के 10 सबसे खास मंदिरों का वर्णन यहाँ किया जा रहा है, जो अपनी अनूठी विशेषताओं के कारण प्रसिद्ध हैं और जहां लाखों भक्तों की आस्था जुड़ी हुई है।

हनुमान गढ़ी, अयोध्या (उत्तर प्रदेश)

अयोध्या में स्थित हनुमानगढ़ी, उत्तर भारत के सबसे प्रसिद्ध हनुमान मंदिरों में से एक है। यहाँ पहुंचने के लिए 76 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। यह मंदिर राम मंदिर के दर्शन से पहले हनुमान जी के दर्शन करने की परंपरा के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर में हनुमान जी माता अंजनी की गोद में बैठे हुए दिखाए गए हैं।
मंदिर का इतिहास रावण पर विजय के बाद भगवान राम के अयोध्या लौटने से जुड़ा है, जब हनुमानजी यहीं रहने लगे और रामकोट की रक्षा करते थे। हनुमानगढ़ी का परिसर 52 बीघा में फैला हुआ है और यहाँ देशभर के कई मंदिरों के अखाड़े और संपत्ति स्थित हैं।
इतिहास में, 1855 में हनुमानगढ़ी पर संघर्ष हुआ जब गुलाम हुसैन और उनके साथियों ने मस्जिद पर कब्जा करने की कोशिश की। इस हमले में 70 जिहादी मारे गए। इसके बाद 1857 में मौलवी अहमदुल्ला शाह ने गुलाम हुसैन की मौत का बदला लेने के लिए संघर्ष किया और क्रांतिकारी बन गया।
संकट मोचन हनुमान मंदिर, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)

संकट मोचन हनुमान मंदिर वाराणसी में स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जिसे 16वीं सदी में संत तुलसीदास ने बनवाया था। माना जाता है कि यहीं तुलसीदास जी ने रामचरितमानस और हनुमान चालीसा की रचना की थी, और भगवान हनुमान ने उन्हें दर्शन दिए थे। मंदिर का निर्माण तुलसीदास जी द्वारा हनुमान जी की पूजा के लिए कराया गया था।
यह मंदिर 8.5 एकड़ क्षेत्र में फैला है, जिसमें 2 एकड़ भूमि पर मुख्य मंदिर स्थित है और बाकी का क्षेत्र वन है, जहां हनुमान जी के रूप में बंदर रहते हैं। मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति श्रीराम की ओर मुख करके स्थापित है। भगवान हनुमान को यहां बेसन के लड्डू का प्रसाद चढ़ाया जाता है, जो मंदिर में विशेष तरीके से बनते हैं। भक्तों द्वारा चमेली के तेल और सिंदूर से हनुमान जी की पूजा की जाती है, और यहां बंदरों को फल खिलाने की परंपरा भी है।
संकट मोचन मंदिर में हर साल संगीत समारोह, रामनवमी, हनुमान जयंती और दीपावली पर विशेष आयोजन होते हैं। मंदिर सुबह 5 बजे खुलता है और संध्या आरती रात 9 बजे होती है। 2006 में एक आतंकवादी हमले में मंदिर को नुकसान हुआ था, जिसके बाद सुरक्षा बढ़ा दी गई। वाराणसी आने वाले लोग काशी विश्वनाथ, काल भैरव के साथ यहां हनुमान जी के दर्शन जरूर करते हैं।
Patna Mahavir Mandir: पटना का महावीर मंदिर

पटना का महावीर मंदिर, जो 1730 में स्वामी बालानंद द्वारा स्थापित किया गया था, एक प्राचीन और प्रमुख हनुमान मंदिर है। यह मंदिर बजरंग बली की युग्म मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है, और यहां हर दिन भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है, विशेषकर मंगलवार और शनिवार को। मंदिर में मिलने वाले लड्डू को खाने से हर तरह की बीमारी ठीक होने की मान्यता है, यहां तक कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां भी।
महावीर मंदिर का नया स्वरूप 1983-85 के बीच आया, और इसमें आचार्य किशोर कुणाल के योगदान को सराहा गया। मंदिर के पास एक पुराना मुस्लिम कैंटीन भी हुआ करता था, और पहले यहां एक लोहे का गेट भी था, जो रात में बंद हो जाता था। इस मंदिर में चढ़ावा भी लाखों रुपये तक पहुंचता है, और भक्तों का मानना है कि यहां दर्शन करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
दिल्ली का हनुमान मंदिर: पांडवों से जुड़ा, हनुमान चालीसा की रचना का स्थल

दिल्ली का प्राचीन हनुमान मंदिर कनॉट प्लेस में स्थित है, जहां गोस्वामी तुलसीदास ने हनुमान चालीसा की रचना की थी। यह मंदिर पांडवों द्वारा बनवाया गया था, जो महाभारत के युद्ध में विजय के बाद इंद्रप्रस्थ (अब दिल्ली) में स्थापित किया गया था।
यह मंदिर स्वयंभू हनुमान जी के रूप में प्रसिद्ध है, और भक्तों का मानना है कि यहां हर तरह की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मंदिर में विशेष रूप से मंगलवार, शनिवार और हनुमान जयंती पर भारी भीड़ होती है।
मंदिर के बारे में यह भी मान्यता है कि यहां ‘श्री राम, जय राम, जय जय राम’ मंत्र का जाप 1 अगस्त 1964 से लगातार 24 घंटे हो रहा है, जिसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है।
अंबाला का 200 साल पुराना हनुमान मंदिर: जहां हर मुराद होती है पूरी

अंबाला शहर में स्थित श्री हनुमान जी का 200 साल पुराना मंदिर स्थानीय लोगों और यात्रियों की गहरी आस्था का केन्द्र है। यह मंदिर अंबाला रेलवे स्टेशन के पास है और यहां श्रद्धालु नियमित रूप से आते हैं।
मंदिर में हनुमान जी को चोला चढ़ाने की विशेष मान्यता है, और दीवारों पर रामायण से जुड़ी घटनाओं की चित्रकला देखने को मिलती है। मंगलवार और शनिवार को यहां भक्तों की भारी भीड़ होती है। श्रद्धालु गुड़ चना और बूंदी का प्रसाद चढ़ाकर अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं। मंदिर के पुजारी का कहना है कि सच्चे दिल से माथा टेकने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
यह मंदिर अपनी प्राचीनता और श्रद्धा के कारण भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बन चुका है।
सालासर हनुमान मंदिर, सालासर(राजस्थान)

सालासर बालाजी मंदिर राजस्थान के चूरू जिले के सालासर गांव में स्थित है। यह मंदिर हनुमान जी की दाढ़ी-मूंछ वाली विशेष प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है, जो एक किसान को खेत में मिली थी। इसे बाद में मंदिर में स्थापित किया गया। मंदिर की स्थापना लगभग 268 साल पहले संत मोहन दास महाराज ने की थी। उन्होंने मंदिर निर्माण के लिए पांच रुपए का चढ़ावा इस्तेमाल किया था। मूर्ति की स्थापना संवत 1811 में हुई और मंदिर का निर्माण संवत 1815 में पूरा हुआ।
यहां विशेष रूप से नारियल चढ़ाने की परंपरा है, जहां हर साल करीब 25 लाख नारियल चढ़ाए जाते हैं। नारियल दोबारा उपयोग में नहीं आते; उन्हें मुरड़ाकिया गांव में खेतों में दबा दिया जाता है। एक दिलचस्प कहानी के अनुसार, पहले नारियलों को जलाया जाता था, लेकिन एक पुजारी के सपने के बाद यह परंपरा बदली, और अब उन्हें सुरक्षित रखा जाता है।
हनुमानजी के पुत्र के साथ मूर्ति: द्वारका के अद्भुत मंदिर की यात्रा

भेटद्वारका हनुमान दंडी मंदिर, द्वारका से 4 मील दूर स्थित है, जहां हनुमानजी और उनके पुत्र मकरध्वज की मूर्तियां हैं। यह मंदिर 500 साल पुराना है और भारत का पहला मंदिर है जहां पिता-पुत्र का मिलन दिखाया गया है। मकरध्वज की उत्पत्ति हनुमानजी के पसीने से एक मछली द्वारा हुई थी। धर्म शास्त्रों के अनुसार, मकरध्वज और हनुमानजी के बीच पाताल लोक में घोर युद्ध हुआ था। इस मंदिर में दोनों मूर्तियां आनंदित मुद्रा में हैं, बिना किसी शस्त्र के। यह मंदिर गुजरात के भेंटद्वारका में स्थित है, जो मुख्य द्वारका से 2 किलोमीटर अंदर है।







