
Sarangpur Hanuman Mandir – सारंगपुर हनुमान मंदिर
गुजरात के भावनगर स्थित सारंगपुर में कष्टभंजन हनुमान महाराजाधिराज के रूप में प्रतिष्ठित हैं। यहां आने वाले भक्तों के हर दुख-दर्द का निवारण होता है, चाहे वह बुरी नजर से मुक्ति हो या शनि के प्रभाव से छुटकारा। उन्हें कष्टभंजन हनुमान इसलिए कहा जाता है क्योंकि वह भक्तों के सभी कष्ट हर लेते हैं।
सारंगपुर में स्थित कष्टभंजन हनुमान मंदिर भव्य और विशाल है। यह मंदिर अहमदाबाद से करीब 175 किलोमीटर दूर है। यहां, 45 किलो सोने और 95 किलो चांदी से बना सिंहासन पर हनुमान विराजमान हैं, जिनके सिर पर हीरे-जवाहरात का मुकुट और पास में सोने की गदा है। उनके चारों ओर प्रिय वानरों की सेना और पैरों में शनिदेव महाराज हैं। भक्तों का मानना है कि हनुमान का यह रूप और आभूषणों से लदा रूप कहीं और नहीं मिलता।
कष्टभंजन हनुमान मंदिर में दिन में दो बार आरती होती है। पहली आरती सुबह 5.30 बजे होती है, जिसमें हनुमान जी का रात्रि श्रृंगार उतारकर नए वस्त्र पहनाए जाते हैं और उन्हें स्वर्ण आभूषणों से सजाया जाता है। फिर वेद मंत्रों और हनुमान चालीसा के साथ आरती होती है। खासकर मंगलवार और शनिवार को यहां लाखों भक्त आते हैं, जो शनि प्रकोप से मुक्ति के लिए विशेष पूजा करवाते हैं।
मंदिर में विभिन्न आरतियाँ निम्नलिखित समय पर संपन्न होती हैं:
- मंगला आरती: सुबह 6:00 से 6:30 बजे तक
- शृंगार आरती: सुबह 7:00 से 7:30 बजे तक
- राजभोग आरती: सुबह 11:00 से 12:00 बजे तक
- उत्थापन आरती: शाम 6:30 से 7:00 बजे तक
- संध्या आरती: शाम 7:30 से 8:00 बजे तक
इस मंदिर की विशेषता शनि देव की मूर्ति है, जो बजरंग बली के चरणों में स्त्री रूप में विराजमान हैं। मान्यता है कि शनि देव ने अपनी जान बचाने के लिए स्त्री रूप धारण किया था, क्योंकि हनुमान जी किसी स्त्री पर हाथ नहीं उठाते।
अंततः राम के आदेश पर हनुमान जी ने शनि देव को अपने पैरों तले कुचल दिया, जिससे भक्तों को शनि के अत्याचार से मुक्ति मिली। इस कारण यहां की पूजा से शनि का प्रभाव तुरंत खत्म हो जाता है। भक्तों का विश्वास है कि यहां नारियल चढ़ाने से उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और शनि दशा से मुक्ति मिलती है।