हर मंगलवार पंचमुखी हनुमान के सामने बोलें 1 मंत्र, बुरी नजर और डर से छुटकारा पाएं

मंगलवार को पंचमुखी हनुमान के दर्शन और उनके मंत्रों का जाप करने से बुरी नजर से बचाव होता है और मंगल व शनि से जुड़े दोष भी दूर किए जा सकते हैं। गोरखपुर के गीता प्रेस द्वारा प्रकाशित हनुमान अंक में ऐसे कुछ मंत्रों का उल्लेख किया गया है, जिनके जाप से कई प्रकार की परेशानियां समाप्त हो सकती हैं। विभिन्न समस्याओं के लिए अलग-अलग हनुमान मंत्रों का जाप करना लाभदायक होता है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, मंगलवार के दिन पंचमुखी हनुमान की विधिवत पूजा करने के बाद यदि इन मंत्रों का जाप किया जाए तो हर समस्या का समाधान प्राप्त किया जा सकता है। समस्या के अनुसार, यहां हनुमानजी के कुछ विशेष मंत्र दिए गए हैं…

1. अगर किसी प्रकार का डर आपके मन में बैठ गया हो तो।
मंत्र – हं हनुमंते नम:
2. बुरी नजर का असर हो तो इस मंत्र का जाप करें ।
हनुमन्नंजनी सुनो वायुपुत्र महाबल:।
अकस्मादागतोत्पांत नाशयाशु नमोस्तुते।।
3. अगर आपकी कोई इच्छा अधूरी है तो उसे पूरा करने के लिए मंत्र।
ऊं हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट।
4. कर्ज से परेशान हैं तो इस मंत्र का जाप करें।
ऊं नमो हनुमते आवेशाय आवेशाय स्वाहा।
5. संकटों से बचने के लिए इस मंत्र का जाप करें।
ऊं नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।
जाप करने की विधि
1.सुबह नहाकर साफ कपड़े पहनकर एक लाल कपड़े पर हनुमान की पंचमुखी मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
2. हनुमानजी की पूजा करें और गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाएं जो जाप के अंत तक जलता रहे।
3. इसके बाद समस्या के अनुसार ऊपर दिए गए मंत्र में से किसी 1 का जाप करना शुरू करें। रुद्राक्ष की माला से कम से कम 5 माला जाप अवश्य करें।

क्यों लिया ये रूप

जब राम और रावण की सेना के बीच युद्ध हो रहा था और रावण अपनी पराजय के करीब था, तब उसने अपने मायावी और तंत्र विद्या में निपुण भाई अहिरावन को सहायता के लिए बुलाया। अहिरावन मां भवानी का परम भक्त था और तंत्र का गहरा ज्ञान रखता था। उसने अपनी माया का प्रयोग करते हुए वानर सेना को निद्रा में डाल दिया और श्रीराम तथा लक्ष्मण का अपहरण कर उन्हें पाताल लोक ले गया ताकि उनकी बलि मां भवानी को अर्पित कर सके।

कुछ समय बाद जब माया का प्रभाव कम हुआ, तो विभीषण ने समझ लिया कि यह अहिरावन का कार्य है। इसके बाद हनुमानजी तुरंत पाताल लोक पहुंचे, जहां उन्होंने श्रीराम और लक्ष्मण को कैद में पाया। वहां अहिरावन ने मां भवानी के लिए पांच दिशाओं में पांच दीपक जलाए थे। अहिरावन को मारने के लिए आवश्यक था कि इन पांचों दीपकों को एक साथ बुझाया जाए।

इस कार्य को संभव बनाने के लिए हनुमानजी ने पंचमुखी रूप धारण किया। इस रूप में:

  • उत्तर दिशा में वराह मुख,
  • दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख,
  • पश्चिम दिशा में गरुड़ मुख,
  • आकाश दिशा में हयग्रीव मुख,
  • और पूर्व दिशा में स्वयं हनुमान मुख।

इस पंचमुखी रूप में हनुमानजी ने एक साथ पांचों दीपकों को बुझाया और अहिरावन का वध कर दिया। इसके बाद उन्होंने श्रीराम और लक्ष्मण को मुक्त कराकर पाताल लोक से बाहर लाया।

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