Dr. Hanuman Temple: मध्यप्रदेश में हनुमान जी के डॉक्टर रूप का रहस्य

मध्यप्रदेश के भिंड जिले के मेहगांव मार्ग पर स्थित डॉ. हनुमान का प्रसिद्ध मंदिर है, जहां हज़ारों लोग अपनी जानलेवा बीमारियों का इलाज करवाने आते हैं, जिसमें कैंसर के मरीज भी शामिल हैं। मान्यता है कि हनुमान जी एक बार एक साधु का इलाज करने डॉक्टर के रूप में यहां आए थे, जो लंबे समय से कैंसर से पीड़ित था। उनके इलाज से वह साधु पूरी तरह ठीक हो गया।

श्रद्धालुओं का मानना है कि डॉ. हनुमान के पास हर बीमारी का इलाज है, और हनुमान जी की भभूत खासकर फोड़ा, अल्सर और कैंसर जैसी बीमारियों के लिए बहुत प्रभावी मानी जाती है। मंदिर की पांच परिक्रमा करने से इन बीमारियों में सुधार होता है।

हर साल पांच सितंबर को यहां बुढ़वा मंगल-मेला महोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, जहां लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। धाम के महंत रामदास जी ने इटावा के भक्तों को इस महोत्सव में आने का विशेष निमंत्रण दिया है।

Dr. Hanuman Temple

मध्यप्रदेश में हनुमान जी के डॉक्टर रूप का रहस्य

इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि जब यहां खुदाई चल रही थी, तब आकाशवाणी हुई, जिसमें बताया गया कि खुदाई के स्थान पर हनुमान जी की मूर्ति है। खुदाई करने पर एक सखी वेश में हनुमान जी की मूर्ति निकली, जिसे चबूतरे पर स्थापित कर प्राण प्रतिष्ठा की गई।

इस दौरान एक भक्त को असहनीय दर्द हुआ, और फिर से आकाशवाणी हुई कि उसे हनुमान जी का बंधन और भभूति लगाने से ठीक हो जाएगा। जब भभूति और बंधन लगाया गया, तो वह भक्त ठीक हो गया। इस घटना के बाद इस स्थान का नाम दंदरौआ पड़ा।

एक और मान्यता है कि जब रावण ने सीता जी को हर लिया था, तब हनुमान जी ने सखी का रूप धारण कर अशोक वाटिका में प्रवेश किया। यह घटना भाद्रपद मास के अंतिम मंगलवार को हुई, इसलिए बुढ़वा मंगल का विशेष महत्व है। दंदरौआ धाम के हनुमान जी को डॉक्टर हनुमान के नाम से पूजा जाता है, और यहां आने वाले भक्तों के रोग दूर हो जाते हैं। हर साल सैकड़ों लोग यहां आकर अपनी बीमारियों से निजात पाते हैं।

बुढ़वा मंगल की शुरुआत

महाराजश्री के अनुसार, जब रावण ने सीता जी को हर लिया, तो श्रीराम के साथ हनुमान जी उनकी खोज में निकले। हनुमान जी ने समुद्र पार कर लंका में अशोक वाटिका में बैठी सीता जी का पता लगाया और उन्हें श्रीराम से मिलवाया। यह घटना भाद्रपद मास के अंतिम मंगलवार को हुई, जिससे वह दिन बुढ़वा मंगल के रूप में प्रसिद्ध हो गया। महाराजश्री ने बताया कि “ऊँ श्री ददरौआ हनुमते नम:मंत्र का जाप करने से सभी बीमारियां दूर होती हैं और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

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