क्या आज भी जिंदा हैं संकट मोचन हनुमान? क्या 2055 में फिर से देंगे दर्शन?

पवनपुत्र हनुमान के बारे में कहा जाता है कि वे अमर हैं और सदैव धरती की राक्षसों से रक्षा करेंगे। हिन्दू धर्म के सबसे प्राचीन ग्रंथ रामायण में भी इसका उल्लेख मिलता है।

हनुमान जी की जन्मतिथि इस वर्ष 16 अप्रैल को मनाई जा रही है। भक्तों के कष्ट हरने वाले संकटमोचन मारुति नंदन हनुमान की महिमा अनुपम है। अपने भक्तों की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान उनके सारे कष्ट दूर कर देते हैं। हनुमान जयंती पर लोग बड़ी श्रद्धा से भगवान हनुमान की पूजा करते हैं और अपने घरों में अखंड पाठ का आयोजन भी करते हैं।

पवनपुत्र हनुमान के बारे में कहा जाता है कि वे अमर हैं और सदैव धरती की राक्षसों से रक्षा करेंगे। हिन्दू धर्म के सबसे पुराने ग्रंथ रामायण में भी इसका उल्लेख मिलता है।

कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध से ठीक पहले हनुमान जी पांडवों से मिलने आए थे। लेकिन सैकड़ों साल बाद, आज के डिजिटल युग में, क्या हनुमान जी सचमुच जीवित हैं? इस पर हमेशा बहस चलती रही है कि क्या आज के समय में भी हनुमान जी जिंदा हैं। कहने को तो भगवान सभी के दिलों में निवास करते हैं, लेकिन त्रेतायुग के श्री हनुमान आज भी जीवित हैं, इसके कुछ प्रमाण जरूर मिलते हैं, लेकिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इस पर अभी तक कोई ठोस फैसला नहीं हुआ है।

हनुमान जी को भगवान शिव का 11वां रुद्र अवतार माना जाता है। यह बात कई ग्रंथों में प्रमाणित होती है कि त्रिकालदर्शी होने के कारण हनुमान जी जानते थे कि भगवान राम के जीवन में आने वाली परेशानियों का समाधान करने के लिए उन्हें प्रभु राम की आवश्यकता होगी। इसके अलावा यह भी उल्लेख मिलता है कि शिव जी को यह ज्ञात था कि कलयुग में जब राम धरती पर नहीं होंगे, तब एक ऐसे भगवान की आवश्यकता होगी, जो श्रीराम की कृपा से उनका कल्याण कर सके। इसी कारण हनुमान जी को शिव के सर्वोत्तम अवतार के रूप में माना गया है।

क्या साल 2055 में फिर देंगे दर्शन

साल 2014 में सोशल मीडिया पर फिर एक बार यह खबर आई थी कि हनुमान जी अभी भी मौजूद हैं और श्रीलंका के जंगलों में उनकी मौजूदगी का संकेत है। इंडिया टुडे में छपी एक खबर के अनुसार, न्यू इंडियन एक्सप्रेस के हवाले से बताया गया था कि श्रीलंका के कुछ कबीलाई लोगों ने दावा किया था कि उन्होंने हनुमान जी से मुलाकात की है।

इस रिपोर्ट में इन जनजातियों पर अध्ययन करने वाले आध्यात्मिक संगठन सेतु के हवाले से यह खुलासा किया गया था कि हनुमान जी इन जनजाति के लोगों से मिलने आते हैं और 2055 में फिर आएंगे। इस जनजाति के लोगों को “मातंग” नाम दिया गया है। उनकी संख्या बहुत कम है और वे श्रीलंका के अन्य कबीलों से काफी अलग हैं।

हनुमान के पैरों के निशान शिमला के जाकू मंदिर में
हनुमान जी के पैरों के निशान शिमला के जाकू मंदिर में मिलते हैं। दरअसल, जब हनुमान जी लक्ष्मण के लिए संजीवनी बूटी लाने के लिए द्रोण पर्वत पर जा रहे थे, तो उन्होंने यहां रुककर जाकू ऋषि से कुछ सूचना एकत्र की थी। लौटते हुए इनसे मिलने का वचन दिया था, पर विलंब न हो जाए, इस डर से वे किसी अन्य छोटे मार्ग से चले गए थे। बाद में हनुमान जी जाकर जाकू से मिले।

जहां हनुमान जी खड़े हुए थे, वहां उनके जाने के बाद उनकी प्रतिमा अवतरित हो गई, और वहां उनके पैरों के निशान भी मौजूद हैं।

माता सीता ने दिया था अमरता का वरदान
वाल्मीकि रामायण के अनुसार, हनुमान जी माता सीता की खोज करते हुए लंका पहुंचे थे। उन्होंने भगवान श्रीराम का संदेश सुनाया, जिससे माता सीता बहुत प्रसन्न हुईं। इसके बाद माता सीता ने हनुमान जी को अपनी अंगूठी दी और उन्हें अमर होने का वरदान दे दिया।

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